यह कहानी है 1934 में जन्मे उसे बच्चे की जिसके सर से मात्रा 13 वर्ष की उम्र में ही पिता का साया उठ
गया असल में यह 13 साल का बच्चा राज घराने से संबंध रखता था इसके पिता महाराज पदम सिंह की
मृत्यु उसे समय हो गई
इस छोटे से बच्चे को राजगद्दी पर बिठाया गया इसके बाद इस बच्चे ने अपनी स्कूली शिक्षा शिमला से की
उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए यह बच्चा जिसका नाम वीरभद्र सिंह था दिल्ली चला गया वीरभद्र सिंह ने BA की डिग्री
हासिल कर ली|
सिंह ने मैं 1954 को महारानी रत्न कुमारी से शादी कर ली जिससे इन्हें एक बेटी प्राप्त हुई
अभिलाषा सिंह 2013 तक गुजरात के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रही असल में राजा वीरभद्र
सिंह अध्यापक बन्ना चाहते थे |
जिसके बाद 1962 के भारतीय आम
चुनाव में वीरभद्र सिंह ने लोकसभा में एक सीट जीती अपने राजनीति कैरियर में
राजा वीरभद्र सिंह
कभी नहीं हरे 1962 1968 1972 1980 तक यह लोकसभा के लिए चुने गए फिर इनकी जिंदगी में
एक ऐसा पड़ाब आया जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया |
प्रदेश के मुख्यमंत्री इन्होंने जोड़-तोड़ से 1983 में सरकार तो बनवा ली परंतु उनके ऊपर टिंबर
घोटाले का इल्जाम लग रहा था तो जिस वजह से हाई कमांड दिल्ली ने उनसे जवाब मंगा बहुत जवाब देने
में असमर्थ रहे जिस कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाकर वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया इसी
वर्ष वीरभद्र की पत्नी का भी निधन हो गया इसके बाद इन्होंने 1885 को प्रतिभा सिंह से विवाह किया इनका
एक बेटा विक्रमादित्य सिंह भी है जो वर्तमान में शिमला ग्रामीण से विधायक पद पर है |
का जब वीरभद्र सिंह एक बार मुख्यमंत्री बन चुके द इन्होंने विधानसभा भांग करवा कर समय से पहले चुनाव
करवा लिए 1985 में वीरभद्र सिंह ने अपने चाहते लोगों को टिकट दिए जिसमें रामलाल ठाकुर के सभी
समर्थ को करे नतीजा यह रहा की राजा वीरभद्र सिंह ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई इन्हें 50 से
ज्यादा सीट प्राप्त हुई 1990 बिना किसी चुनावी लहर के वीर का पहला सियासी इम्तिहान जोरदार मुकाबला हुआ
शांता कुमार ने यहां कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया कांग्रेस को मात्रा 8 सिम आई परंतु बड़ी
बात यह रही की वीरभद्र अपनी गलतियों को सुधारते रहे और दल को मजबूती प्रदान की शांता कुमार की यह सरकार
ढाई तीन साल ही चल पाई जिसके बाद नवंबर 1993 में चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस को 55 सीट प्राप्त हुई
चुनावो में शांता कुमार अपनी सीट तक नहीं निकल पाए |
बहुमत से आई जो पूरे 5 वर्ष तक चली इसके बाद फिर से वीरभद्र की सरकार जो 2003 से 2007 तक 2012 से
2017 तक मुख्यमंत्री पद पर बने हुए रहे 2017 में यह अपने कार्यकाल में पंच बार संसद और छह
बार मुख्यमंत्री रहे 8 जुलाई 2021 यह वही दिन था जिसने आधुनिक हिमाचल के निर्माता वीरभद्र सिंह को
पंच तत्वों में विलीन करवा दिया लंबी बीमारी से जूझने के बाद गुरुवार सुबह 3:40 शिमला के
आईजीएमसी अस्पताल में इन्होंने आखिरी सांस ली इससे पहले वीरभद्र सिंह दो बार कोरोना को मार दे चुके द 8
जुलाई की सुबह वीरभद्र सिंह के निधन की खबर से सारा हिमाचल मानो सुन हो गया हर हिमाचली की आंखें नाम हो
गई चाहे वो व्यक्ति पक्ष का था या विपक्ष का था 8 जुलाई की सुबह हिमाचल आधुनिक हिमाचल के निर्माता
को खो चुका था वीरभद्र सिंह असल में भगवान श्री कृष्ण के वंशज माने जाते हैं यह भगवान श्री कृष्ण
के 122वें राजा द इसके बाद रामपुर के पदम पैलेस में वीरभद् सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह का
राजतिलक किया गया जो कृष्ण वंश के 123 राजा बने तो |