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History oF Himachal Pradesh |
हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार न होते तो आज हिमाचल न होता YS परमार की यह कहानी हर
हिमाचली को देखनी चाहिए 28 जनवरी 1977 हिमाचल shimla के बस स्टैंड से रोडवेज की बस में एक बुजुर्ग सवार
होता है जिसे सिरमौर जाना था अपने गांव चन्हालग मन में बहुत से सवाल घूम रहे थे की अच्छी खासी
नौकरी थी लाहौर लखनऊ से पढ़ाई करने के बाद जज बने पता नहीं जहन में ऐसा क्या आया की कैरियर
बदल दिया हम हिमाचल निर्माता यशवंत सिंह परमार की बात कर रहे हैं जिन्होंने 18 जनवरी 1977 को
जब इंदिरा गांधी ने यह ऐलान किया की अब इमरजेंसी खत्म हो जाएगी और देश में चुनाव होंगे तो इसके
10 दिनों के बाद ही इस्तीफा दिया यशवंत सिंह परमार ने इस्तीफा दिया या यह समझे की इस्तीफा दिलाया गया
तो आपको अतीत में ले चलते हैं 4 अगस्त
और साल 1906 को चन्हलग गांव में एक नन्हे बालक का जन्म हुआ जिसका नाम यशवंत रखा गया पिता भंडारी
शिवानंद सिंह परमार सिरमौर रियासत के दो राजाओं के यहां दीवान थे। भंडारी उर्दू फारसी कला संस्कृति
के ज्ञातक थे,साथ ही में वो शिक्षा के महत्व को भी समझते थे इसलिए ही तो उन्होंने यशवंत को उच्च शिक्षा
दिलाने में कसर नहीं छोड़ी यशवंत की शिक्षा के लिए पिता ने अपनी जमीन जायदाद गिरवी रख दी थी यशवंत ने
1922 में दसवीं पास की जिसके बाद आगे की पढ़ करने के लिए लाहौर के प्रसिद्ध सीसीएम कॉलेज से स्नातक
की डिग्री हासिल कर ली । सनातक की डिग्री हासिल करने के बाद 1928 में लखनऊ के कैनिंग कॉलेज से MA एलएलबी
की डिग्री हासिल की पढाई पुरी करने के बाद वाइएस परमार जज बन गए परमार साहब डिस्ट्रिक्ट जज तक पहुंच
गए। यह समय रहा होगा तकरीबन सन 1941 का जब परमार साहब जज पद पर थे, लेकिन तब परमार को ये एहसास हो
गया था की उनकी जिंदगी का उद्देश्य राजशाही की सेवा करना नहीं था इसीलिए 1943 में इन्होंने जज पद से
इस्तीफा दे दिया इस्तीफा क्या दे दिया राजा ने यह कहकर निकलवाया की ऐसे व्यक्ति को क्या जज बनाना जो
बगावत करें और सिरमौर की सीमाओं से बाहर निकलने की इदायत दी क्यों हुआ यह सब क्योंकि YS परमार
प्रजामंडल में शामिल हो गए थे उसकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे थे हम आपको बता दें की
प्रजामंडल कांग्रेस का ही एक स्वरूप था जो रियासतों में आजादी के आंदोलन के लिए सक्रिय था यशवंत सिंह
सक्रिय रहे देश आजाद हुआ और उन्हें कांग्रेस में जिम्मेवारियां मिली लेकिन उससे पहले उन्होंने
हिमाचल प्रदेश में सुकेत सत्याग्रह किया सुकेत मंडी की ही एक रियासत थी जहां पर सत्याग्रह हुआ इसीलिए
इसे सुकेत सत्याग्रह का नाम दिया गया 31 रियासतें थी जिनको भारत में जोड़ने के लिए सत्याग्रह हो रहा
था सरदार वल्लभभाई पटेल की कूटनीति से सभी रियासतों को भारत में जोड़ा गया जिसके बाद 15 अप्रैल 1948 को
भारत के संघ और इन रियासतों के प्रतिनिधियों के बीच में यह सहमति बनी की हिमाचल प्रदेश के नाम से राज्य
बनाए जाए और जिसका नियंत्रण केंद्र सरकार के पास हो हिमाचल में 31 छोटी बड़ी रियासत शामिल की गई
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आज के भूगोल में समझे तो हिमाचल के चार जिले चंबा, मंडी, महासू ,और सिरमौर महासू शिमला के आसपास के सभी
जिलों को महासू का नाम दिया गया था 1952 हिमाचल में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए यह चुनाव हिमाचल में
36 विधानसभा सीटों पर हुए जिसमें कांग्रेस ने 24 सीटों पर जीत का परचम लहराया और 3 मार्च 1952 को
यशवंत सिंह परमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली YS परमार हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री
बने हिमाचल प्रदेश बहुत बड़ा था इसीलिए 1954 में 8 जिलों के साथ ही बिलासपुर रियासत को भी हिमाचल में
मिला लिया गया फिर विधानसभा सीटे बढ़कर 36 से 41 की गई ।इसके बाद साल आया 1956 जब पंडित जवाहरलाल नेहरू
ने राज्य पुनर्गठन आयोग का निर्माण किया पहले सभी राज्यों को A,B और सी कैटिगरी में रखा जाता था सी
कैटिगरी में छोटे राज्यों को रखा जाता था राज्य पुनर्गठन आयोग ने यह प्रस्ताव पारित किया की इन
एबीसी कैटिगरी को हटाकर सभी राज्यों को पूर्ण राज्य का अधिकार दिया जाए और साथ ही में सी कैटिगरी के
छोटे राज्यों को साथ के बड़े राज्य में जोड़ा जाए या केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए हिमाचल भी सी
कैटिगरी में था इसके बाद हिमाचल को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया केंद्र शासित प्रदेश बनाने के
बाद विधानसभा को खत्म कर उसकी जगह एक टेरिटोरियल काउंसिल का गठन किया गया जिसका मुखिया चेयरमैन होगा।
कहते है कि ys parmar के कद के हिसाब से एक छोटी कुर्सी थी 1957 में टेरिटोरियल काउंसिल का चेयरमैन
मंडी के ठाकुर कर्म सिंह को बनाया गया अब यह पद मुख्यमंत्री का नहीं हुआ करता था वही दूसरी ओर
लोकसभा चुनावों में महासू सीट से YS परमार जीत कर दिल्ली पहुंचे 1959 में इंदिरा गांधी को कांग्रेस की
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया जिससे परमार और इंदिरा मे अच्छा तालमेल बैठ गया लेकिन 1962 और 1963 में यह
मांग उठने लगी की टेरिटोरियल काउंसिल सही ढंग से काम नहीं कर रहा है और विधानसभा को बहाल करने की
मांग जोर पकड़ने लगी जिसके बाद केंद्र सरकार ने 1 एक्ट पारित किया की इसी टेरिटोरियल काउंसिल के
अंतर्गत विधानसभा बहाल किए गए वहीं दूसरी ओर YS परमार दिल्ली में हिमाचल की सीमाओं के विस्तार की
चिंता कर रहे थे की किस तरह हिमाचल का विस्तार हो विधानसभा बहाल होने के बाद 1 जुलाई 1963 को यशवंत
सिंह परमार ने फिर से हिमाचल के मुख्यमंत्री के पद के रूप में शपथ ली इसके बाद 1967 में YS परमार ने
तीसरी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली समय बिता जिसके बाद साल आया 1970 जब
हिमाचल को पूर्ण राज्य बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी जिस वजह से दिसंबर 1970 में पार्लियामेंट
में स्पेशल एक्ट पारित हुआ हिमाचल प्रदेश का इसके बाद 1971 में इंदिरा गांधी जो उसे समय
देश की प्रधानमंत्री हुआ करती थी वह शिमला दौरे पर आई उस दिन शिमला में भारी बर्फबारी हो रही थी इंदिरा
गांधी ने शिमला के रीज मैदान से एक बड़ी रैली को संबोधित किया और सभी हिमाचलियो को हिमाचल के पूर्ण
राज्य बनने की सौगात दी और साथ ही में इंदिरा गांधी ने हिमाचल को तरक्की के लिए शुभकामनाएं दी। हिमाचल
पूर्ण राज्य बन गया और इसमें नए जिले 1966 में ही जोड़ दिए गए थे, जब राज्यों का पुनर्गठन किया जा
रहा था तो पंजाब से अलग करके हरियाणा को बनाया गया तभी पंजाब के पहाड़ी इलाके जिन्हें पंजाब हिल्स कहा
जाता था इसमें कुल्लू ,मनाली ,शिमला के कुछ इलाके थे इनको हिमाचल में जोड़कर 41 विधानसभा क्षेत्र
वाली विधानसभा को 68 कर दिया गया। हिमाचल प्रदेश की नीव यशवंत सिंह परमार ने राखी थी और जब हिमाचल को
पूर्ण राज्य का दर्ज मिला तो वित्तीय आवंटन के लिए YS परमार जब योजना आयोग के सामने पहुंचे तो योजना
आयोग ने पूछा की आपकी तीन मांगे क्या है तो YS परमार ने कहा की सड़क, सड़क ,और सड़क क्योंकि परमार समझते
थे की पहाड़ों की जीवन रेखा बाकी कामों की अपेक्षा सड़क पर ही टिकी हुई है जब परमार ने पहली बार राज्य
की बागडोर संभाली तो 250 किलोमीटर की मोटरेबल रोड थी जबकि आज यह आंकड़ा 45000 पार कर चुका है और इसकी
बुनियाद यशवंत सिंह परमार ने राखी थी यशवंत सिंह परमार इस बात को जानते थे की जब सड़कें बनेगी तो
बाहर के लोग हिमाचल में आएंगे जब लोग आएंगे तो वो पैसा भी लाएंगे जिससे प्रदेश की तरक्की होगी
बाहरी लोग हिमाचल में जमीन न खरीद सके इसीलिए ys parmar ने 1972 में लैंड रिफॉर्म एक्ट पारित किया।
जिसमें कुछ एक अपवादों को छोड़कर हिमाचल का मूल निवासी ही हिमाचल में जमीन खरीद सकेगा
यशवंत सिंह परमार अक्सर कहा करते थे की हमारी हवा भी बिकती और पानी भी हवा से तात्पर्य था
की हिमाचल का वातावरण बागवानी के अनुकूल है सोलन में उनके नाम पर हॉर्टिकल्चर की यूनिवर्स टीवी है
डॉक्टर YS परमार यूनिवर्सिटी डॉक्टर इनके नाम में 1943 में लगा जब जज की नौकरी से इन्होंने इस्तीफा
दिया इन्होंने इसके बाद sociology में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की YS परमार ने polyandry हिंदी
में समझे तो बहु पति प्रथा को खत्म करने में पहल की थी मतलब एक औरत के एक से ज्यादा पति
यह प्रथा सीमांत जिले किनौर,सिरमौर और कांगड़ा में प्रचलित थी। इसका परमार ने कड़ा विरोध किया
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यशवंत सिंह परमार की जिंदगी का आखिरी किस्सा जो उनकी ईमानदारी का सबूत देता है जब उन्होंने मुख्यमंत्री
इस पद से इस्तीफा दिया तो वो बस में बैठकर घर चले गए वो अक्सर बस में ही सफर किया करते थे तो उनके
खाते में उसे समय 536 रूपये ही थे 1977 में इस्तीफा देने के बाद परमार साहब अपने गांव में पहुंचे इसके
बाद 1978 में एक कर एक्सीडेंट की वजह से उनका चलना फिरना बहुत कम हो गया इसके एक साल बाद पता चला की
उन्हें कैंसर भी है कैंसर के चलते 1 मई 1981 को YS परमार ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया यशवंत
सिंह परमार का मानना था की नेता के बेटे को नेता नहीं बन्ना चाहिए इसलिए उनके जीवन कल में उनके
परिवार से राजनीति में कोई नहीं आया उनकी मौत के एक वर्ष के बाद 1982 में कुश परमार उनके बेटे ने
चुनाव लड़ा और जीत का परचम लहराया YS परमार के इस्तीफा देने की 2 वजह मानी जाती थी इमरजेंसी
के दौरान इंदिरा गांधी की गलत policy की वजह से YS परमार निराश रहे जिस वजह से उन्होंने इस्तीफा
दिया दूसरी थ्योरी जो ज्यादा पुख्ता लगती है ys परमार नेहरू और इंदिरा के दौर में अच्छा तालमेल
बिठा रहे थे पर ये दौर था संजय गांधी का इसमें परमार साहब फिट नहीं बैठ रहे थे फिट बैठ रहा था
जुब्बल से विधायक रामलाल ठाकुर जिसने इंदिरा के दरबार में 22 विधायकों से यह कहलवाया की ys परमार
का दौर खत्म हो चुका है तो परमार साहब ने इसी बात पर अमल करते हुए इस्तीफा दिया और इंदिरा गांधी के
बेटे संजय गांधी के चेले ठाकुर रामलाल को प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनाया गया तो दोस्तों ऐसा
रहा हिमाचल निर्माता यशवंत सिंह परमार का अंतिम दौर |